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अपना अपना सन्धान / त्रिलोचन
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15:54, 12 जुलाई 2010
उसका पराग किसी और जगह पड़ता है
फूलों की दुनिया बन जाती है ।
प्रेम में अकेले भी हम
अकेले नहीं हैं
अनिल जनविजय
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