भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ''' पत्नी:गृ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

''' पत्नी:गृह-प्रवेश पर '''



उम्र की बीहड़ सड़कों पर
चलते-चलते
थकने पर धीरज की लाठी
थामे-थामे
प्रतीक्षा की अनमोल पूंजी से
कमाया अपने सपनों का घर उसने

घर में अतिथि-प्रवेश का बरामदा नहीं
कहीं सूर्य-नमस्कार का आँगन नहीं
कपड़े सुखाने का बारजा नहीं
शौचालय और गुशलखाना नहीं,
यानी, शयनकक्ष में नहाना
बैठक के उदार कोने में शौचना
उससे सटे पथरीले गच पर खाना पकाना
और वहीं पइयां बैठ
मजे से जीमना