भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जिससे पूर्णतया कटी हुई
कर्मयोगी कृष्ण की राधा-सी
दो छोरों की खाए पाटते.(भारती का बोध महसूसती)खाई पाटती
एक पुल भर मैं.
</poem>