भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बनाए आँख सुरमेदानी
मेंहदी रचाए हाथों में
पैरों में / वह भी
छिदवाए कान नाक
पहने झुमकेनाचतीझुमके-नथनी
गर्मी से चिपचिपाती देह पर
ढोए मन भर