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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
इन चार दीवारों में
कल रहते थे
हम सभी
अब इन दीवारों के बीच
जलते हैं
चार चूल्हे
00
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|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
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कल रहते थे
हम सभी
अब इन दीवारों के बीच
जलते हैं
चार चूल्हे
00