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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<Poem> नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो पिछले बरस न जैसा हो घी में उँगली मुँह में शक्कर पास पर्श पर्स में पैसा हो ।
भूल जायें जाएँ सब कड़बी कड़वी बातें पायें नयी नयी पाएँ नई नई सौगातें नहीं काटना पड़ें वर्ष में बिन बिजली गर्मी की रातें।रातें । कोई घपला और घुटाला काण्ड न ऐंसा ऐसा-वैसा हो ।। नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो ॑॑॑॑॑॑॑...
बच्चे खुश हों खेलें खायें रोज सभी विद्यालय जायें पढ़ें लिखें शुभ आदत सीखें करें शरारत मौज मनायें नहीं किसी के भी गड्ढ़े में गिरने का अंदेशा हो ।। नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो ॑॑॑॑...
युवा न भटकें गलियां गलियां गलियाँ-गलियाँ मिल जायें जाएँ सबको नौकरियांनौकरियाँ राहू केतु शुभ हो जायें जाएँ मिल जायें जाएँ सबकी कुण्डलियाँ लड़की ऐश्वर्या -सी लड़का अभिषेक बच्चन जैसा हो।।हो ।। नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो ॑॑॑॑...
स्वस्थ रहें सब वृद्ध सयाने बच्चे उनका कहना मानें सेवा में तत्पर हो जायें जाएँ आफिस कोर्ट कचहरी थाने डेंगू और चिकनगुनियां चिकनगुनियाँ का अब प्रतिबन्ध हमेशा हो ़़ नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो ॑॑॑॑...
नये नए वर्ष में नूतन नारे बना सकें नेता बेचारे गाली बकलें कोई किसी को पर जूते चप्पल न मारे नहीं विश्व में अन्त किसी का बेनजीर के जैसा हो ।. नया वर्ष कुछ ऐंसा ऐसा हो ॑॑॑॑... </poem>
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