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बीजूका : एक अनुभूति / सांवर दइया
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03:45, 20 जुलाई 2010
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|रचनाकार= साँवर दइया
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<
poem
Poem
>सिर नहीं
है सिर की जगह
औंधी रखी हंडिया
लाठी का टुकड़ा
हाथों की जगह पतले डंडे
वस्त्र नहीं है ख़ाकी
फिर भी
अनिल जनविजय
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