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Kavita Kosh से
''' बेशर्म कहानियां '''
ये जो कहानियां हैं
बडी मुंहफट्ट और बदतमीज हैं,
हंसोढों के आगे
नीलाम कर देती हैं,
पढाकू कुक्कुरों से नुचावानेनुचवाने-छितराने
पंडालों-चौरस्तों पर
धकेलकर-पटक कर
डांटू या फटकारूं
या, बार-बार लतियाऊ
फंटूसी-फटेहाली-फटीचरी
बकवासी किताबी जुबानों से
खरहर जमीन पर माई के हाथों
पाथी हुई लिट्टीयां
लहसुनिया चटनी से अघा-अघा चंभवाती हैं,खानाबदोशों , लावारिस लौडों,
बहुरुपियों, फक्कडों, हिजडों और गुंडो
के तहजीबो-करतूतो को
अनायास मुझसे ही क्यों
अवगत कराती हैं?