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Kavita Kosh से
उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका अभि९वादन अभिवादन करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।