भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[ सुबह से पहले आयी कली शाम / सांवर दइया]]
* [[ यह हरामज़ादा शहर देख तूं / सांवर दइया]]
* [[ भीतर ऐर और भीतर गए तो देखे ये मंजर / सांवर दइया]]
* [[ जिनकी वज़ह से आप उदास हैं / सांवर दइया]]
* [[ अपनी बेकारी ने यह काम किया / सांवर दइया]]