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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया}}{{KKCatKavita}}<poem>जिंदा रहती हैमेरा चूमना और तुम्हाराखुद को यूं हवाले लड़की में गुड़ियाकर देना।