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[[Category:ग़ज़ल]]
महक उठा है आंगन आँगन इस खबर ख़बर सेवो खुशबू ख़ुशबू लौट आई है सफर सफ़र से
जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम
दरीचे पर शफक शफ़क़ के रंग बरसे
मै मैं इस दिवार दीवार पर चढ़ तो गया था उतारे अब कौन दिवार अब दीवार पर से
गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की
मैं लड़्ता लड़ता फिर रहा हूँ शहर भर से
उसे देखे ज़माने भर का ये चान्द चाँदहमारी चान्दनी चाँदनी छाए तो तरसे
मेरे मानन गुज़रा कर मेरी जान