भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
123 bytes added,
09:32, 6 अगस्त 2010
* [[तुम ना आये तो क्य सहर ना हुई / ग़ालिब]]
* [[इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया / ग़ालिब]]
* [[बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला / ग़ालिब]]