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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=हरीश भादानी|संग्रह=आड़ी तानें-सीधी तानें / हरीश भादानी}}{{KKCatGeet}}<poem>सुधियाँ साथ निभाएँगी
थकी अगर
तुम न भले ही साथ चलो
सुधियाँ साथ निभाएँगी
थकी अगर......
पीड़ा ओढ़े
तुम न भले ही साथ चलो
सुधियाँ साथ निभाएँगी
थकी अगर.......
मेरा उस
तुम न भले ही साथ चलो
सुधियाँ साथ निभाएँगी
थकी अगर......
पाप-पुण्य की
मुझको छोड़ न पाएँगी
तुम न भले ही साथ चलो
सुधियाँ साथ निभाएँगी</poem>