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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है / गोपालदास "नीरज"
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17:09, 8 अगस्त 2010
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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है।
दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते-जलते,
अनूप.भार्गव
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