भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

व्यर्थ / काका हाथरसी

1,180 bytes added, 12:08, 15 अगस्त 2010
नया पृष्ठ: काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय । मिल्क पाउडर डालकर पी लि…
काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय ।

मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय ॥

पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ ।

सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ ॥

कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर ।

देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर ॥

जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग ।

करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग ॥

नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा ।

आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा ॥

कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।

मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा ॥
60
edits