भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूठ माहात्म्य/ काका हाथरसी

531 bytes added, 12:48, 15 अगस्त 2010
नया पृष्ठ: झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टा…
झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप

जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टाप

बैठा-बैठा टाप, देख लो लाला झूठा

'सत्यमेव जयते' को दिखला रहा अँगूठा

कहँ ‘काका ' कवि, इसके सिवा उपाय न दूजा

जैसा पाओ पात्र, करो वैसी ही पूजा
60
edits