भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सरह्दें ही सरहदें हैं हर तरफ़
क्या जगह है? मुझको ले आए कहां ?
झड़ गए पत्ते तो शाख़ें कट गई
</poem>
{{KKMeaning}}
76
edits