भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुजरात-तीन / मुकेश मानस

1,469 bytes added, 13:57, 22 अगस्त 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>

यह एक रेलगाड़ी का डिब्बा है

पटरी से उतरा नहीं है
और ना ही छोड़ा है इसे
किसी रेल ने अनाथ सा

यह एक ऐतिहासिक डिब्बा है
कि इसके भीतर दफ़्न है
एक विकसित राष्ट्र की मानवीय संस्कृति

वैसे दिखता है इसके भीतर
एक अंधकार घना काला
जो समेटे हुए है
एक अंतहीन ख़ामोशी में ग़र्क़
भयानक चीख़ पुकार

यह डिब्बा असंख्य आँखें हैं
एक शोकगीत में मुब्तिला

यह डिब्बा असंख्य हाथ हैं
सहायता की पुकार में उठे हुए

यह डिब्बा
कोई गैर मामूली डिब्बा नहीं है
दरअसल यह डिब्बा
एक राष्ट्र की मानवीयता का मृत्यु स्थल है
2002



<poem>
681
edits