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14:04, 22 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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<poem>
वह टोपियां बेचता है
लाल, नीली, हरी और सफेद
ग्राहकों को पटाने के लिये
वह अपने सिर पर पहनता है टोपियाँ
बदल-बदल कर
सब उसे कहते हैं टोपी विक्रेता
मगर मै उसे कहता हूँ
आजकल का नेता।
1987, आधी अधूरी ज़िन्दगी से
<poem>