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<Poem>
ख़ामोश ख़मोश होता हे क्यूँ दरिया इश्ताआल इश्तआल <ref>ज्वार भाटा, गुस्सा </ref> के बाद
सवाल ख़त्म हुए उस के इस सवाल के बाद
उसे ख़याल मिरा आ गया जलाल<ref>गुस्सा</ref> के बाद
नये ज़माने का दस्तूर बस म आज़ मआज़ अल्लाह<ref>प्रभु ही बचाए</ref>
नवाज़ता<ref>इज़्ज़त प्रदान करना</ref> है खिताबों<ref>पुरस्कार, अवार्ड</ref> से इन्तकाल<ref>स्वर्गवास</ref> के बाद
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