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Kavita Kosh से
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ,<br>
उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा,<br>
सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा,<br>
बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है,<br>
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है |||