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ये रात ये तन्हाई  
ये दिल के धड़कने की आवाज़
ये सन्नाटा  
ये डूबते तारॊं की
खा़मॊश गज़ल खवानी
 
ये वक्त की पलकॊं पर
सॊती हुई वीरानी
 
जज्बा़त ऎ मुहब्बत की
ये आखिरी अंगड़ाई
 
बजाती हुई हर जानिब
ये मॊत की शहनाई
 
सब तुम कॊ बुलाते हें
पल भर को तुम आ जाओ
 
बंद होती मेरी आँखों में
 
मुहब्बत का
एक ख्वाब़ सजा जाओ
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