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देख के दीवानों-सी हालत हँसते हैं अहबाब<ref>दोस्त</ref> मिरे
जब से गए हो गया वो नहीं चहकती चिड़िया आकर खिड़की में,
और महकना भूल गए हैं बाल्कनी के गुलाब मिरे
पूछ रहा है यूँ तू मुझसे राज़ मेरी बर्बादी के,
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