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{{KKGlobal}}{{KKRachana|रचनाकार=रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु'}}<poem>कितना अच्छा होता !
कितना अच्छा होता !जो तुम
यूँ बरसों पहले मिल जाते
तुम हो मन के मीत हमारे
रिश्तों के धागों से ऊपर
तुम हो गंगा -जैसी पावन ।</poem>
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