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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>
प्रतीक्षा करो
कभी-कभी प्रतीक्षा करना ही
होता है बेहतर
समय की गति में बदलता है सब कुछ
बदलता है समय खुद भी
समय भुला देता है
वो तमाम बातें
जिन्हें आज भुला पाना
लगता है मुश्किल
सुलझा देता है समय
सब गुत्थियाँ
जो आज दिखती हैं कठिन
जल्दबाज़ी करने से बिगड़ सकती हैं चीजें
हारो नहीं हिम्मत
धीरज धरो अभी
गुज़र जाने दो इस घड़ी को
कि समय नहीं रहता सदा एक सा।
2006
<poem>
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|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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प्रतीक्षा करो
कभी-कभी प्रतीक्षा करना ही
होता है बेहतर
समय की गति में बदलता है सब कुछ
बदलता है समय खुद भी
समय भुला देता है
वो तमाम बातें
जिन्हें आज भुला पाना
लगता है मुश्किल
सुलझा देता है समय
सब गुत्थियाँ
जो आज दिखती हैं कठिन
जल्दबाज़ी करने से बिगड़ सकती हैं चीजें
हारो नहीं हिम्मत
धीरज धरो अभी
गुज़र जाने दो इस घड़ी को
कि समय नहीं रहता सदा एक सा।
2006
<poem>