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12:12, 7 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
सुबह के समय
तीन नारंगी रंग के अन्ड़ेदान
मेज़ पर
तीन उबले अण्डों के साथ .
मेरा प्रिय नाश्ता .
डेडी मेरे सामने बैठे हैं
ममा मेरे साथ ,
चलो शुरू करें ब्रेकफास्ट .
जैसे ही डेडी के गिलास में पानी डालती हूँ
अन्ड़ेदानी बड़ी होने लगती है .
गिलास के पार.
अंडे भी बढ़ने लगते हैं
जैसे उछल रहे हों कप से बाहर !
ऐ लडके !
जैसे ही मैं उड़ेलती हूँ पानी गिलास में
होता है ये जादू !
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>