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{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
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<poem>
काल ने
लिख दिया मुझे
शब्दों के मानिन्द
मेरे युग के चेहरे पर
चाहता हूँ फ़क़त :
शब्दों का सुलगता गुलमोहर
बतौर वसीयत
अगले युग को सौंपा जाए
<poem>
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|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
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काल ने
लिख दिया मुझे
शब्दों के मानिन्द
मेरे युग के चेहरे पर
चाहता हूँ फ़क़त :
शब्दों का सुलगता गुलमोहर
बतौर वसीयत
अगले युग को सौंपा जाए
<poem>