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11:12, 8 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
काल ने
लिख दिया मुझे
शब्दों के मानिन्द
मेरे युग के चेहरे पर
चाहता हूँ फ़क़त :
शब्दों का सुलगता गुलमोहर
बतौर वसीयत
अगले युग को सौंपा जाए
<poem>