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{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
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<poem>
काँपते हाथों से
मैं जहाँ लिखूँगा
प्यार
वहाँ कमल पत्र खिल जाएगा
एक दिन
भीतर जन्म लेते
उमड़ते नादानुरागी
सागर की लहरियों पर तिरकर
एक दिन,वह सच हो जाएगा
सच!
मुझे मालूम नहीं था
<poem>
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|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
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काँपते हाथों से
मैं जहाँ लिखूँगा
प्यार
वहाँ कमल पत्र खिल जाएगा
एक दिन
भीतर जन्म लेते
उमड़ते नादानुरागी
सागर की लहरियों पर तिरकर
एक दिन,वह सच हो जाएगा
सच!
मुझे मालूम नहीं था
<poem>