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पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी

1 byte added, 13:55, 14 सितम्बर 2010
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वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो। वंदिनी मां को न भूलो,::राग में जब मत्त झूलो::तो कभी माँ को न भूलो,अर्चना के रत्नकण में, एक कण मेरा मिला लो। ::जब हृदय का तार बोले,::शृंखला के बंद खोले,;हों जहां जहाँ बलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला लो।
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