भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कुहासों के न्योते पर, ज़फाओं के सोते पर
यहां सर्द दिल का शहर लिख रही हो.
हवाई पोशाकों से बदलते इलाकों से
युगों के निखरने का भ्रम लिख रही हो.
पहाड़ों के घेरे हैं, सहरों के डेरे हैं,