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इब्ने-मरियम / कैफ़ी आज़मी

163 bytes removed, 16:03, 17 सितम्बर 2010
तुम ख़ुदा हो <br>
ख़ुदा के बेटे हो<br>
या फ़क़त अमन <ref>केवल</ref> अम्न<ref>शांति</ref> के पयमबर पयंबर<ref>अवतार</ref> हो<br>य किसी का हसीं तखय्युल तख़य्युल<ref>सुन्दर कल्पना</ref> हो<br>
जो भी हो मुझ को अच्छे लगते हो<br>
मुझ को सच्चे लगते हो<br><br>
इस सितारे में जिस में सदियों से<br>
झूठ और किज़्ब <ref>झूठ</ref> का अंधेरा है<br>इस सितारे में जिस को हर रुख़ <ref>तरफ़</ref> से<br>
रंगती सरहदों ने घेरा है<br><br>
इस सितारे मेमें, न जिस की आबादी<br>अमन अम्न बोती है जंग काटती है<br><br>
रात पीती है नूर मुखडो मुखड़ों का<br>
सुबह सीनों का ख़ून चाटती है<br><br>
तुम न होते तो इस सितारे में<br>
देवता राक्षस ग़ुलाम इमाम<br>
पारसा <ref>पवित्र</ref> रिंद <ref>शराबी</ref> रहबर <ref>मार्गदर्शक</ref> रहज़न<ref>लुटेरा</ref><br>बराह्मन बिरहमन शैख़ पादरी भिक्षु<br>
सभी होते मगर हमारे लिये<br>
कौन चढता ख़ुशी से सूली पर<br><br>
बिल्लियाँ दूर बैठी रहती हैं<br>
और ख़ारिशज़दा से कुछ कुत्ते<br>
लेटे रहते हैं बे-नियाज़ाना<ref>निश्चिंत</ref><br>
दम मरोड़े के कोई सर कुचले<br>
काटना क्या ये भोँकते भी नहीं<br><br>
और सब कुछ उतार लाते हैं<br><br>
गाड़ी जाती है अदल <ref>न्याय</ref> की मीज़ान><br>
जिस का हिस्सा उसी को मिलता है<br><br>
जाओ वो विएतनाम के जंगल<br>
उस के मस्लूब <ref>सूली पर चढ़ाए गए</ref> शहर ज़ख़्मी गाँव<br>जिन को इंजील पड़ने <ref>बाइबल</ref> पढ़ने वालों ने<br>
रौंद डाला है फूँक डाला है<br><br>
तुम को चढ़ना पड़ेगा सूली पर<br><br><br>
फ़क़त=सिर्फ़ ; पयम्बर=अवतार ; तखय्युल=कल्पना ; किज़्ब= झूठ ; रुख=तरफ़ ; नूर=ज्योती ; पारसा=पवित्र ; रहबर=पथ-प्रदर्शक ; रहज़न=लुटेरे ; ख़ारिशज़दा=खुजली से पीडित ; बे-नियाज़ाना=निश्चिन्त ; अदल=न्याय ; खयानत=बेइमानी ; मस्लूब=सलीब पर चढाये गये ; इंजील=बाइबल<br><br>{{KKMeaning}}