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|संग्रह=क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग
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मेरे समाज की हालत सही-सही मत पूछ
कहाँ-कहाँ से गया टूट आदमी मत पूछ
सुकून ढूँढती आँखो आँखों में बेशुमार सवाल हसीन आरज़ू आखिर आख़िर कहाँ गई मत पूछ
हरेक शख़्स है शामिल जहाँ नौटंकी में
वहाँ है कादमी कामुदी ज़्यादा या त्रासदी मत पूछ
ख़ुदी के नाम पर ख़ुदग़र्ज़ी ख़ुदग़र्ज़ियों की बन आई
महान देश ने कर ली क्यों ख़ुदकशी मत पूछ
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