|संग्रह=क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}
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सब करार को तरसे बेक़रार लोगों में
क़त्ल का मुक़दमा है, पर गवाह झूठे हैं
न्याय का तो अब भी इंतज़ार है इंतज़ार लोगों में
पैंतरे तो होंगे ही, पैंतरों की दुनिया हैं
आप के तो चर्चे है यादगार लोगों में
ज़िन्दगी की खातिर ख़ातिर हम मौत को भी जी लेंगे
क्यों शुमार हो जाएँ बेशुमार लोगों में
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