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|संग्रह=क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग‎
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}
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काँच निर्मित घरों के क्या कहने!
उँचे-उँचे सरों के क्या कहने!
जिनके होंठो होंठों पे सिर्फ अफ़वाहें,
ऐसे हमलावरों के क्या कहने!