भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुन्द्रे / गुलज़ार

786 bytes added, 09:42, 24 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} {{KKCatNazm}} <poem> नीले-नील…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>

नीले-नीले से शब के गुम्बद में
तानपुरा मिला रहा है कोई
एक शफ्फाफ़ कांह का दरिया
जब खनक जाता है किनारों से
देर तक गूँजता है कानो में

पलकें झपका के देखती हैं शमएं
और फ़ानूस गुनगुनाते हैं
मैंने मुन्द्रों की तरह कानो में
तेरी आवाज़ पेहें रक्खी है
</poem>
270
edits