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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पांच साल का छोटा लड़का
दरवाज़े पर खड़ी
कूड़ा गाड़ी को
धक्का लगा रहा है
पिता उसे देख दौड़ कर आता है
झिड़की लगा उसे
गोद में उठाता है
मेरी नज़र सामने पार्क में
बाबा साहब की मूर्ति पर जाती है
और मुझे उनकी सारी योजनाएं
जीवंत होती नज़र आती है
या यूं कहें -
एक शुरुआत
यहीं से हो जाती है।
</poem>
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|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
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<poem>
पांच साल का छोटा लड़का
दरवाज़े पर खड़ी
कूड़ा गाड़ी को
धक्का लगा रहा है
पिता उसे देख दौड़ कर आता है
झिड़की लगा उसे
गोद में उठाता है
मेरी नज़र सामने पार्क में
बाबा साहब की मूर्ति पर जाती है
और मुझे उनकी सारी योजनाएं
जीवंत होती नज़र आती है
या यूं कहें -
एक शुरुआत
यहीं से हो जाती है।
</poem>