भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[पेच रखते हो बहुत साज-ओ-दस्तार के बीच / फ़राज़]]
* [[फिर उसी राहगुज़र पर शायद / फ़राज़]]
* [[साक़िया इक एक नज़र जाम से पहले -पहले / फ़राज़]]
* [[सब लोग लिये संग-ए-मलामत निकल आये / फ़राज़]]
* [[सकूत-ए-शाम-ए-ख़िज़ाँ है क़रीब आ जाओ / फ़राज़]]