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|रचनाकार=उदयप्रताप सिंह
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अभी समय है सुधार कर लो ये आनाकानी नहीं चलेगी
सही की नक़ली मुहर लगाकर ग़लत कहानी नहीं चलेगी
‘उदय’ हुआ है नया सवेरा मिला सको तो नज़र मिलाओ
वो चोर-खिड़की से घुसने वाली प्रथा पुरानी नहीं चलेगी
 
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