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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>किताबों में मेरे फ़साने ढूंढते ढूँढते हैं, नादां हैं गुज़रे ज़माने ढूंढते ढूँढते हैं ।
जब वो थे तलाशे-ज़िंदगी भी थी,
अब तो मौत के ठिकाने ढूंढते ढूँढते हैं ।
कल ख़ुद ही अपनी महफ़िल से निकाला था,
आज हुए से दीवाने ढूँढते हैं ।
तुझे क्या पता ऐ सितम ढाने वाले,
हम तो रोने के बहाने ढूँढते हैं ।