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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
सन्दूक में कर्ण को
बहाते समय
कुन्ती ने रख दिये
महंगे स्वर्ण आभूषण
रखना भूल गई ममता
मांगा उसने उसी का मूल्य
अपने पुत्रों के लिए
कर्ण के जीवन के लिए
उसने नहीं मांगा कुछ
कृष्ण से
अपने पुत्रों से
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|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
सन्दूक में कर्ण को
बहाते समय
कुन्ती ने रख दिये
महंगे स्वर्ण आभूषण
रखना भूल गई ममता
मांगा उसने उसी का मूल्य
अपने पुत्रों के लिए
कर्ण के जीवन के लिए
उसने नहीं मांगा कुछ
कृष्ण से
अपने पुत्रों से