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16:23, 30 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|संग्रह=खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
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<poem>
सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, साँसों का इतिहास
नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम
अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गई धूप
बरखा सबको दान दे, जिसकी जितनी प्यास
मोती-सी ये सीप में, माटी में ये घास