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10:22, 4 अक्टूबर 2010 जाने क्या होता<br />
इन प्यार भरी बातों में?<br />
रिश्ते बन जाते हैं<br />
चन्द मुलाकातों में।<br />
मौसम कोई हो<br />
हम अनायास गाते हैं,<br />
बंजारे होठ मधुर<br />
बांसुरी बजाते हैं,<br />
मेंहदी के रंग उभर आते हैं<br />
हाथों में<br />
खुली-खुली आंखों में<br />
स्वप्न सगुन होते हैं,<br />
हम मन के क्षितिजों पर<br />
इन्द्रधनुष बोते हैं,<br />
चन्द्रमा उगाते हम<br />
अंधियारी रातों में।<br />
सुधियों में हम तेरे<br />
भूख प्यास भूले हैं<br />
पतझर में भी जाने<br />
क्यो पलाश फूले हैं<br />
शहनाई गूंज रही<br />
मंडपों कनातों में।