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दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने 'फ़राज़'
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर
15.
चढते सूरज के पूजारी तो लाखों हैं 'फ़राज़',
डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा |
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