भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सात कविताएँ-5 / लाल्टू

974 bytes added, 05:48, 11 अक्टूबर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू }} <poem> व…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
}}
<poem>

वह जो मेरा है
मेरे पास होकर भी मुझ से बहुत दूर है.
पास आने के मेरे उसके खयाल
आश्चर्य का छायाचित्र बन दीवार पर टँगे हैं,
द्विआयामी अस्तित्व में हम अवाक देखते हैं
हमारे बीच की ऊँची दीवार.

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
अनजान लकीर के इस पार उस पार
उँगलियाँ छूती हैं
स्पर्श पौधा बन पुकारता है
स्पर्श ही अल्लाह, स्पर्श ही ईश्वर.
778
edits