भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सात कविताएँ-6 / लाल्टू

32 bytes added, 06:31, 11 अक्टूबर 2010
|संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
 
मैं कौन हूँ? तुम कौन हो?
मैं एक पिता देखता हूँ पितृहीन प्राण.
ग्रहों को पार कर मैं आया हूँ
एक भरपूर जीवन जीता बयालीस की बालिग उमर
मेरी दुनिया बनाते हुए वह मुस्कराता है
सुनता हूँ बसन्त के पूर्वाभास में पत्तियों की खड़खड़ाहट
दूर -दूर से आवाज़ें आती हैं उसके होने के उल्लास मेंआश्चर्य मानव -सन्तान
अपनी सम्पूर्णता के अहसास से बलात् दूर
उँगलियाँ उठाता है, माँगता है भोजन के लिए कुछ पैसे.</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,453
edits