कल फूल के महकने की आवाज़ जब सुनी{{KKGlobal}}परबत का सीना चीर के नदी उछल पड़ी{{KKParichay|चित्र=मुझ को अकेला छोड़ के तू तो चली गई|नाम=आदिल मंसूरीमहसूस हो रही है मुझे अब मेरी कमी|उपनाम= |जन्म= कुर्सी, पलंग, मेज़, क़ल्म और चांदनी|मृत्यु=तेरे बग़ैर रात हर एक शय उदास थी|जन्मस्थान= |कृतियाँ= सूरज के इन्तेक़ाम की ख़ूनी तरंग में|विविध= यह सुबह जाने कितने सितारों को खा गई|अंग्रेज़ीनाम=aadil mansuri, adil Mansoori|जीवनी=[[आदिल मंसूरी / परिचय]]आती हैं उसको देखने मौजें कुशां कुशां|shorturl=साहिल पे बाल खोले नहाती है चांदनी}}{{KKShayar}}दरया <sort order="asc" class="ul">* [[कल फूल के महकने की तह में शीश नगर है बसा हुआआवाज़ जब सुनी / आदिल मंसूरी]]रहती है इसमे एक धनक-रंग जल परी</sort>