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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार}}{{KKCatGhazal}}<poem>हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो<br />ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो<br />
आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची<br />जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो<br />
तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी<br />अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो<br />
हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां<br />अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो<br />
तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली<br />जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो<br />
हम इससे आचमन करें या तू वजू करे<br />झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो<br />
इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें<br />जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो<br />
ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ<br />कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो<br />
इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे<br />ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो<br /poem>
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