भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी है मोहब्बत नाम जिसका हैजिसका, उसी की ये उसने दी निशानी है
क़ज़ा ही लगती है आसां, अगर ये जीना क्या जुदाई में मिटाना है मुझे खुद को, उसे कईं यादें मिटानी है
वफ़ा के वादे हैं टूटे, ज़रा सी बात पर रूठे
सज़ा बन जाती है कुरबत, अजब दिल की कहानी है
मिटा कर नक्श कदमों के, बने अंजान हम फिर से मिले मिलें शायद कभी हंस करहम-तुम, कि लंबी ज़िंदगानी है  वफ़ा के नाम पे 'श्रद्धा' न हो कुर्बान अब कोई कहानी हीर-रांझा की पुरानी थी, पुरानी है
कहाँ क़ुरबान होता है, कोई भी संग में “श्रद्धा”
ये बातें हीर-रांझे की, हुई कब से पुरानी है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits