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भोर की पहली<br />
किरन के साथ <br />
सूर्यमुखियों की तरह खिलना।<br />


फिर इन्हीं<br />
मेरून होठों में<br />
वादियों में कल हमें मिलना।<br />

पत्थरों पर<br />
बैठकर चुपचाप<br />
हम सुनहरे वक्त के सपने बुनेंगे,<br />

दांत से नाखून<br />
तुम मत काटना<br />
हम महकते फूल शाखों से चुनेंगे,<br />

कैनवस पर<br />
छवि उतारेंगे तुम्हारी<br />
मुस्कराना मगर मत हिलना,<br />

ओस में<br />
भींगे हुए ये पांव<br />
फैलकरके धूप में तुम सेंकना,<br />

भैरवी से केश<br />
जब तुम खोलना<br />
हमें दे देना रिबन मत फेंकना।<br />
आज सारा दिन <br />
तुम्हारा है<br />
शाम से कह दो नहीं ढलना।<br />


झील में <br />
खिलते हुए ताजे कमल<br />
चांदनी रातें तुम्हीं से हैं,<br />

उत्सवों के दिन<br />
अकेलापन<br />
प्यार की बातें तुम्हीं से हैं,<br />
तुम्हीं से <br />
ये मेघ उजले दिन<br />
है टिमटिमाते दिये का जलना।<br />